दरबदर भटकता हुँ प्यार का तराना लेकर,
कोइ तो आयेगा इकदिन प्यार का तोफा लेकर.
इश आरजु मे आंगन छुटा,
छुटा दोस्तों का साथ,
फिरभि ना मिला ओ अहेंशाश,
ना मिला ओ बात.
घरशे दुर येक अनजान शहर में आगिरा,
झोलि में प्यार के बद्ले दोलत आगिरा
मागिं खुदा शे दुआ तो बोलने लगा....
पाना प्यार है गरतो प्यार करना शिख,
छोड्दे ओ झुटि गुमान, मोहबत शे दिलों कु जितना शिख.
-----XXXXXXXXX---------------
Tuesday, March 18, 2008
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment