Wednesday, March 19, 2008

-------मेरे मेहेबुब------

सुनि आवाज ऊनकि तो ढड्कन तेज हो उठा,
हलकिशि इक चिन्गारि आई, ओर...
दिलमे चिरागे महबत जल उठा.

बेसबर हे दिल ऊनके मिलने के आश मे,
प्यार कि चन्द बातें सुनने के प्याश मे.

दिलमे दिवानगि ऊनकि आवाजने भरदिया हे,
खामुश लबोंपे अब मुशकुराहठ आगया हे.

दिलकि आवाज में ऊनकु शुनाऊ केशे,
आरजु दिलकि में ऊनकु बताऊ केशे,
दुर येक शहरमें वो बशरहिं हे,
मिलनेकि तडप में ऊनकु दिखाऊ केशे.

लमहोँमे वक्तकु गिनता रहता हुँ,
मिलनेकि ईनतेजारमे रातोंकु जागता रहता हुँ.

आयेगिं येकदिन ये वादा हे ऊनका,
पुरिहोगि हरओ आरजु ये दिलाशा ऊनका.

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