ईयुं ना हमें दीलमे बिठावो,
खुशीशे आखं भर आती हे,
जब कभी में तनहा बेठता हुँ,
ये खुशी बहत रुलाती हे.
वादा तो करली साथ नीभानेका,
फिरभी मे शोचता रहता हुँ,
कभी दुरी दिवार ना बन जाये,
ईश बात शे डरता रहता हुँ.
खुशी ये पुछती रहती हे,
कियुं तु ऊदाश हे,
शाथ हुं मे तुम्हारे,
फिर कियुं बेआश हे.
में कहीं अश्क ना बनजाऊ,
ईश बात शे डरता हुँ,
मुश्कान बनके चेहेरे मे रहुं,
खुदाशे दुआ मे करता हुं.
लगेना नजर दुनीयाकी तुम्हे,
दिलमे छुपाये रखता हुं,
कोई मुजशे छीननाले तुम्हे,
ईश बात से डरता हुँ.
#########
Sunday, April 6, 2008
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
1 comment:
भाई अब्दुल हबीब गजल बहुत अच्छी लिखी हे लेकिन लिखने मे बहुत गलतिया हे कोई बात नही धीरे धीरे ठीक हो जाये गी,ओर यह चन्द लाइने तो बहुत ही खुब सुरत हे...
लगे ना नजर दुनिया की तुम्हे,
दिल मे छुपाये रखता हूं.
कोई मुझ से छीन ना ले तुम्हे,
इस बात से डरता हुं.
Post a Comment